Tuesday, September 29, 2009

आज कौन सा दिवस है ?

कोई महानुभाव आज सुबह-सुबह पूछ बैठे आज क्या है ? आज कोई खास दिन है क्या ? मेरे साथ बैठे सज्जन ने जवाब दिया आज सोमवार है। एक दूसरे सज्जन भी बोले कि आज १४ तारीख है। इसी प्रकार बहुत से ऐसे जवाब आने लगे जो आम थे।
हाँ मुझे याद है कि फरवरी मास का एक पूरा सप्ताह होता है जिसमें सप्ताह का प्रत्येक दिन बहुत खास होता है। पूरे हफ्ते S.M.S. की बहार आई होती है। उपहारों की दुकाने ऐसे सजी होती हैं जैसे शादी के समय दुल्हन। हर तरफ गुलाब और चॉकलेट टहलते दिखते हैं। देच्च का सेन्सेक्स चाहे गोता खा रहा हो पर गुलाब की कीमत २० रुपये तक पहुँच जाती है। देच्च में कमी के आसार होने पर सरकार पहले से ही प्रबन्ध करा के रखती है। जरूरत पड़ने पर विदेच्चों से आयात कराने की पूरी तैयारी होती है, इसके लिए चाहे देच्च कितना ही कर्जे में क्यों न डूब जाये, पर १४ फरवरी न मनाने वाला इंसान पिछड़ा, अनपढ़, जाहिल और गवार कहलाता है। जैसे कि मैं।
पर फिर वही सवाल ! क्या आज कोई खास दिन है ? अगर आप से यह सवाल किया जाये तो आप कहेंगे होगा कोई दिन और अगर आप एक ऊम्र दराज व्यक्ति हैं तो कहेगें कि आज हिन्दी दिवस है। यदि यही सवाल किसी युवा व्यक्ति से पूछ लिया तो कहेगा हमें क्या पता ? आज वैलेन्टाईन डे तो नहीं है न बस। अगर किसी ने थोड़ा दिमाग लगाकर सोचा तो कहेगा आज तो मेरी तीसरी गर्लफ्रैण्ड का जन्म दिन भी नहीं है।
ऐसे में अगर कोई कह दे कि आज हिन्दी दिवस है तो या तो लोग हँसकर टाल जायेगें या फिर शान्त होकर उस बात को वहीं खत्म कर देगें। पर आज के दिन क्या करना चाहिए इस सवाल का जवाब तो शायद ही किसी के पास हो।
वैलेन्टाईन डे या फ्रैण्डच्चिप डे के दिन क्या करना है सब जानते हैं। कॉलेज की क्लास पट मारनी है। कैन्टीन जाना है और सेलिब्र्रेट करना है। पर आज क्या करना है.......? मुझे भी नहीं मालूम। शायद आज में अपनी क्लास में जाँऊ और किसी को पता भी न हो कि आज क्या है। सुबह से मोबाइल हाथ में लेकर बैठा हूँ शायद कोई ­S.M.S. भेज दे। HAPPY HINDI DAY. मुझे देखिए हिन्दी दिवस पर भी यह कामना करे बैठा हूँ कि हिन्दी दिवस का बधाई संदेच्च भी कोई अंग्रेजी भाषा में दे। कितना मार्डन हूँ न मैं। अगर हिन्दी में कामना करुं तो लोग मुझे अनपढ़ कहेंगे और तो और बाज+ार में ऐसे मोबाइल का मिलना आसान ही कहाँ हैं जो हिन्दी भाषा में हों। हम हिन्दुस्तानियों की मज+बूरी है कि हमें हिन्दी से ज्यादा प्रेम अंग्रेजी और अन्य विदेच्ची भाषाओं से हो गया है। पर हम क्या करें ? हिन्दी हमारी मातृभाषा है वो तो हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। उसे छोड़कर हम कैसे रह सकते हैं। पर मैं तो अंग्र्रेजी का समर्थन करुंगा। अरे भाई यह विच्च्व में सबसे ज्यादा बोली जाती है। आज के जमाने में कोई धोती पहनता है जो हम हिन्दी बोले।
अंगे्रजी बहुत कठिन है और हिन्दी बहुत सरल। अंग्र्रजी में एक गलती आपको अनपढ़ साबित कर सकती है और हिन्दी में सौ खून माफ। हिन्दी इतनी सरल है कि उसे तो कोई भी सही कर सकता है। अंगे्रजी में अगर आप ने PUNTUATION का ध्यान नहीं रखा तो आपकी नौकरी गई और अगर आपने गलती से भी हिन्दी में विस्मयादीबोधक चिन्ह् (!) का प्रयोग कर दिया तो आपका वेतन कटा। अब बताइये ज्यादा जरुरी नौकरी बचाना है या वेतन। इसलिए कहता हूँ हिन्दी बहुत सरल है क्योंकि हिन्दी में बहुत से ऐसे शब्द हैं जिनके बारे में कोई जानता ही नहीं तो उसे प्रयेग करने से बच गये न। उदाहरण ,ड्ढ,ट्ठ,ळ,ड्ढ,ड्ड.........। इन शब्दों को तो हिन्दी के शब्दकोष से हटा ही दिया गया है तो हुआ न आपका काम आसान।
हिन्दी लिखते-लिखते कहीं कोई शब्द भूल गये तो अंग्रेजी के शब्द हैं न। तभी तो नया फैच्चन निकाला है हिन्दी अखबारों ने। अब उसमें हिन्दी के कठिन शब्द अंग्रेजी में पढ़िये। आप की हिन्दी कमजोर है तो उसे और कमजोर बनाने का जिम्मा इन हिन्दी समाचार पत्रों ने लिया है। हर thing plan के मुताबिक होती है। अब आप हिन्दी समाचार पत्र पढ़ कर अपनी अंग्रेजी solid कर सकते हैं। कितना उपकार है इन समाचार पत्रों का हम पर।
हिन्दी के उद्धार का बीड़ा कई साहित्यिक संस्थानों ने उठा रखा है। हिन्दी दिवस पर नगर में अगर गलती से एक संगोष्ठी करा दी गई तो एक महान कार्य का सूत्रपात हो गया।
मुझे एक फिल्म का संवाद याद आ रहा है जहाँ नायक कहता है कि आज के जमाने में अगर आप कहते हैं कि हृदय परिवर्तन हो गया है तो लगता है कि किसी को heartattack आ गया है। आज के समय में हिन्दी कोई कैसे use करे। ऐ भिढू हिन्दी की तो वॉट लग गई है। पर अच्छा है जितना ज्यादा हम हिन्दी की वॉट लगायेंगे खुद को उतना ज्यादा modern बनायेगें।
मैं भी देखता हूँ हिन्दी कब तक अपनी इज्ज+त बचाती है। एक न एक दिन तो उसे विदेच्ची भाषाओं के आगे घुटने टेकने ही पड़ेंगे जैसे आज भारतवासी विदेच्ची सम्यता के आगे टेक चुके हैं।